छत्तीसगढ़ राज्य के संत परंपरा म गुरू घासीदास जी के इस्थान बहुत बड़े रहि से। सत के रददा म चलइया, दुनिया ल सत के पाठ पढ़इया अउ मनखे-मनखे के भेद ल मिटइया। संत गुरूघासीदास जी के जीवन एक साधारन जीवन नइ रहिस। सत के खोज बर वो काय नइ करिस।
समाज म फइले जाति-पाँति, छुआछूत, भेदभाव, इरखा द्वेष ल भगाय बर जेन योगदान वोहा देइस वो कोनो बरदान ले कम नइहे।मनखे ल मनखे ले जोड़े बर, मनखे म मानवता ल इस्थापित करे बर, असत के रददा ल तियाग के सत के रददा म रेंगाय बर जेन परयास करिस उही वोला आज अतका पूजनीय बना दिस। “मनखे-मनखे एक समान” के नारा देवइया घासीदास जी जीव हतिया, मांसभक्छन, चोरी, जुआँ, मंदिरा सेवन, परस्त्रीगमन ल बहुत बड़े पाप मानत रहिस।
गाय-गरूवा, जानवर मन ऊपर अतियाचार करइ ल घासीदास जी सबले बड़े पाप बताय रहिस हे। अपन बचपन ले ही घासीदास जी हिंसा के बिरोधी रहि से। सत ल खोजे बर तपसिया करिस, समाज ल सुधारे बर समाजसेवक बनिस। सत के दरसन करना वोकर जीवन के परम लछ्य रहि से।वोखर समे म समाज म फइले विसंगति, कुरीति, मूरति पूजा, जाति वेवस्था, वर्न भेद ल घासीदास जी ह तियागे के बिसय बताय रहि से। घासीदास जी के पुरा जीवन सत के आराधना करत बितीस।सत, अहिंसा, करूना, परेम, दया, उपकार वोकर जीवन के सिंगार रहिस। छ्त्तीसगढ़ के पावन धाम गिरौदपुरी जिहाँ आज घलो मेला भराथे अउ सबो समाज, जाति धरम के मनखे उंहा जाके माथ नवाथे, येकर ले बड़े सामाजिक एकता, समरसता अउ का हो सकथे। आज घलो 18 दिसंबर के पुरा छत्तीसगढ़ म वोखर जयंती ल धूमधाम ले मनाये जाथे, जैतखाम म पालो घलो चढा़य जाथे। अउ पंथी गीत, नृत्य के माधियम ले बाबा घासीदास जी के अमर संदेस ल जन-जन तक पहुंचाय जाथे। आज गुरू घासीदास जी के उपदेस अउ संदेस ल मनइया दिनों-दिन बाढ़हत जात हे, अउ गाँव-गाँव म अइसन कार्यकरम के आयोजन ह ये बात के परमान हे कि घासीदास जी के उपदेस ह आज घलो जिंदा हे, अउ आगू घलो जिंदा रइही।
केशव पाल
मढ़ी (बंजारी) सारागांव,
रायपुर(छ.ग.)
9165973868